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“बारिश का प्रकोप! हिमाचल से ओडिशा तक तबाही की तस्वीर (4–9 जुलाई रिपोर्ट)”

By mangat ram

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बारिश का प्रकोप
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“रेड अलर्ट! बारिश का प्रकोप जुलाई की बारिश ने मचाई तबाही – जानिए किस राज्य में क्या हालात हैं”

जुलाई 2025 की शुरुआत के साथ ही भारत में मानसून ने विकराल रूप धारण कर लिया है। देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार भारी बारिश, बादल फटना, बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं सामने आ रही हैं। मौसम विभाग (IMD) ने देश के कई राज्यों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किए हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, दिल्ली‑एनसीआर और पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश का प्रकोप से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि किन राज्यों में क्या स्थिति है, कितना नुकसान हुआ है, और किस प्रकार की चेतावनियाँ और सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश: बादल फटने और बर्बादी की घटनाएँ

हिमाचल प्रदेश में मानसून का सबसे ज्यादा कहर मंडी, शिमला और कुल्लू जिलों में देखने को मिला है। मंडी जिले में चार स्थानों पर बादल फटने की घटनाओं में अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग लापता बताए जा रहे हैं।

  • मंडी जिले के बागी, सधवां और बल्ह क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ और मलबे ने दर्जनों घरों को बहा दिया।

  • शिमला जिले में इमारतें ढहने और सड़कें टूटने की कई घटनाएं सामने आईं।

  • कुल्लू और लाहौल-स्पीति क्षेत्रों में भी लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे यातायात बाधित है।

  • बिजली, पानी और टेलीफोन सेवाएँ भी प्रभावित हुई हैं।

राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्यों के लिए विशेष टीमें भेजी हैं। सेना और एनडीआरएफ की टीमें भी मौके पर काम कर रही हैं। IMD ने 5 से 7 जुलाई तक राज्य में रेड अलर्ट जारी किया है।

उत्तराखंड: धार्मिक यात्रा और पहाड़ों पर संकट

उत्तराखंड में मानसून के कारण चारधाम यात्रा मार्ग पर भारी असर पड़ा है। बारिश की वजह से सड़कों पर भूस्खलन और चट्टानों के गिरने की घटनाएं बढ़ गई हैं।

  • जून 2025 में बारिश जनित घटनाओं में 65 से अधिक लोगों की मौत हुई है।

  • केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा को कई बार रोकना पड़ा है।

  • पिथौरागढ़, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों में सबसे ज्यादा खतरा बना हुआ है।

IMD ने 9 जुलाई तक राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश और लैंडस्लाइड की चेतावनी जारी की है। स्थानीय प्रशासन ने पर्यटकों और श्रद्धालुओं को फिलहाल यात्रा न करने की सलाह दी है।

महाराष्ट्र और गुजरात: शहरी क्षेत्रों में जलजमाव और नदियों का खतरा

महाराष्ट्र में विशेष रूप से मुंबई, पुणे, नासिक और कोंकण क्षेत्र में भारी वर्षा दर्ज की गई है। 6 और 7 जुलाई को मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में 20 सेमी से अधिक वर्षा का अनुमान है।

  • मुंबई में कई स्थानों पर जलजमाव की स्थिति बन गई है। रेलवे और सड़क यातायात प्रभावित हो रहा है।

  • ठाणे और पालघर जिलों में भी बारिश के कारण कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप हो गई है।

  • गुजरात में जून में औसत से 30% अधिक वर्षा हो चुकी है।

  • सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद जिलों में निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं।

  • नर्मदा, तापी और साबरमती नदियाँ खतरे के निशान के करीब बह रही हैं।

गुजरात सरकार ने 30 से अधिक मौतों की पुष्टि की है और राहत कार्य जारी हैं।

दिल्ली‑एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और पूर्वोत्तर भारत में बारिश का प्रकोप 

उत्तर भारत में मानसून के सक्रिय होते ही दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और हरियाणा में भारी बारिश शुरू हो चुकी है।

  • 5 से 9 जुलाई के बीच मौसम विभाग ने भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान जताया है।

  • दिल्ली के कई हिस्सों में जलभराव, ट्रैफिक जाम और पेड़ गिरने की घटनाएं हो रही हैं।

  • पंजाब और हरियाणा के किसानों को फसल की सुरक्षा और जल निकासी की व्यवस्था करने की सलाह दी गई है।

पूर्वोत्तर राज्यों में (असम, मेघालय, मणिपुर आदि) भारी बारिश के साथ-साथ भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं।

  • कई गांवों का संपर्क टूटा हुआ है और राहत कार्य जारी हैं।

ओडिशा: तटीय क्षेत्रों में अलर्ट

ओडिशा के उत्तरी और तटीय जिलों में भारी बारिश के साथ-साथ तेज हवाओं का असर देखा जा रहा है।

  • बालासोर, भद्रक, केंद्रापाड़ा जैसे जिलों में भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित है।

  • समुद्र में तूफानी लहरों के कारण मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी दी गई है।

  • राज्य सरकार ने 16 जिलों में अलर्ट घोषित किया है।


 

मौसम विभाग की चेतावनियाँ (IMD Alerts)

भारतीय मौसम विभाग ने 4 से 9 जुलाई के बीच देश के कई हिस्सों में रेड, ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किए हैं।

  • रेड अलर्ट का अर्थ है – “Take Action” यानी गंभीर खतरा।

  • ऑरेंज अलर्ट में “Be Prepared” की चेतावनी दी जाती है।

  • जुलाई महीने में सामान्य से 6-8% अधिक बारिश होने की संभावना है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि जल प्रबंधन सही ढंग से किया जाए तो इस बारिश से फसलों को बड़ा फायदा हो सकता है। हालांकि जलभराव और बारिश का प्रकोप की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

सुरक्षा और बचाव के सुझाव

बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाओं में जान और माल की सुरक्षा के लिए सावधानी अत्यंत आवश्यक है:

  1. प्रशासन की चेतावनियों और निर्देशों का पालन करें।

  2. पहाड़ी और निचले इलाकों से समय रहते सुरक्षित स्थानों पर जाएं।

  3. जरूरी दवाएं, दस्तावेज़ और टॉर्च, मोबाइल चार्जर जैसे सामान पहले से तैयार रखें।

  4. बिजली के उपकरणों से दूरी बनाए रखें यदि जलभराव हो।

  5. खेती करने वालों को सलाह दी जाती है कि जल निकासी की पक्की व्यवस्था करें।

  6. मछुआरे समुद्र में जाने से बचें जबतक प्रशासन अनुमति न दे।

भारत में जुलाई 2025 का मानसून अभी अपने चरम पर है। हिमाचल और उत्तराखंड में पर्वतीय आपदा, महाराष्ट्र और गुजरात में शहरी बाढ़, पूर्वोत्तर में भूस्खलन और ओडिशा में समुद्री तूफानों का खतरा बना हुआ है। ऐसे में नागरिकों को प्रशासन के साथ मिलकर सतर्क रहना होगा। बारिश जहां एक ओर कृषि के लिए वरदान बन सकती है, वहीं समय पर बचाव और तैयारी न होने पर यह जीवन और संपत्ति के लिए अभिशाप भी बन सकती है।

समझदारी, सजगता और सावधानी ही इन कठिन परिस्थितियों से सुरक्षित बाहर निकलने का रास्ता है।

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